दक्षिणपंथी छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से भिड़ने के वजह से कथित तौर पर जिस तरह हैदराबाद विश्वविद्यालय में रोहित वेमुला ने हुए उत्पीड़न और निलंबन की वजह से आत्महत्या कर ली थी फिर उसी तरह ही जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में भी के छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार सहित कई छात्र नेताओं की गिरफ़्तारी कर के उनपर देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया। हैदराबाद विश्वविद्यालय के रोहित और जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के बाद अब ऋचा सिंह की बारी है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ की पहली महिला अधय्क्ष ऋचा सिंह को भाजपा छात्र इकाई ABVP और विश्वविद्यालय प्रशासन के दबाव का सामना करना पड़ रहा है है। ऋचा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के ग्लोबलाइज़ेशन एवं डेवेलपमेंट स्टडीज सेंटर से पीएचडी कर रही हैं
“वो लोग मुझे पीएच.डी. से बाहर करने के लिए कोशिश कर रहे हैं मेरा एडमिशन रद्द करने की कोशिश की जा रही है , “मैंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के खिलाफ लड़ाई लड़ाई लड़ती रही हूँ और मैंने विश्वविद्यालय परिसर में विवादित सांसद योगी आदित्यनाथ को प्रवेश नहीं होने दिया था जब उन्हें किसी कार्यकर्म में आना था । मैंने कुलपति द्वारा किए गए गलत नियुक्तियों पर भी सवाल उठाया है और इसी वजह से वो सब मुझे निशाना बना रहे हैं और मेरा दाखिला रद्द करने के लिए कोशिश कर रहे हैं।” ऋचा सिंह ने आपका टाइम्स संवाददाता को फ़ोन पर हुई बातचीत में बताया।
ऋचा ने कहा कि उनका दाखिला पीएच.डी. में 2013-14 के सत्र में हुआ था और दो साल पूरा होने वाला है एडमिशन होने के बाद और सब सही चल रहा था और आज अचानक ही ऐसा क्या के मेरे एडमिशन पर सवाल उठाया जा रहा है? अब तक 2 सालों में मेरे एडमिशन में उन्हें कुछ गलत नहीं लगा और अब जाकर उन्हें मेरा एडमिशन गलत लग रहा है तो सवाल यह है की पिछले दो साल से वो लोग क्या कर रहे थे।
ऋचा ने बताया की “जब मेरा एडमिशन 2013-14 में हुआ था तब , सेंटर में दो सीटें थे। वो लोग(कॉलेज प्रशाशन ) कहते हैं कि दो सीटों में से एक सामान्य सीट और अन्य एक आरक्षित सीट थी। वो अब दावा कर रहे हैं कि सीटों के रोटेशन के हिसाब से वह सीट आरक्षित वर्ग के लिए थी।”
गौरतबल है की ऋचा M.Phill की गोल्ड मेडलिस्ट भी रही हैं और छात्र संघ का चुनाव निर्दलीय जीता था जबकि बाकी के तीन सीटों पर ABVP का कब्ज़ा है।