रिपोर्टर- मोहम्मद आक़िब खाँन
फर्रूखाबाद। फर्रूखाबाद में बजरिया ग्राउन्ड पर 15 दिसम्बर को डॉ० ज़ाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट की जानिब से आल इण्डिया मुशायरा “यादें खुर्शीद आलम” आयोजित हुआ। यह मुशायरा रात 09:00 बजे शुरु हुआ और रात करीब 02:30 बजे जाकर सम्पन्न हुआ। मुशायरे की सदारत बेकल उत्साही ने की और संचालन अनवर जलालपुरी ने किया। मुशायरे की शामा को रौशन विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने किया। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्नि लुईस खुर्शीद ने सभी शायरों को शॉल देकर उनका इस्तक़बाल किया। मुशायरे की खासियत यह रही कि विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने अपने फर्रूखाबाद की जनता के साथ बैठकर देखा और सुना। सभी शायरो ने खुर्शीद आलम को याद किया, जिनकी याद में यह मुशायरा कराया गया।
मुशायरे की शुरुआत करते हुए सबसे पहले अजम शाकरी को डाइस पर बुलाया गया, इन्होंने अपनी शायरी से फर्रूखाबादियों के दिल में जगह बनाई और मुशायरे का माहौल बनाया। इसके बाद माजिद देवबन्दी साहब ने नात पढ़कर मुशायरे को आगे बढ़ाया। इसके बाद अजम शाकरी, इक़बाल अशर, सरदार चरन सिहं बशर, सुनील कुमार तंग, शबीना अदीब, कलीम कैसर, पापुलर मेरठी, डॉ० नसीम नगहत, रईस अंसारी, माजद देवबंदी, अनवर जलालपुरी, वसीम बरेलवी, और बेकल उत्साही ने अपनी-अपनी शयरी, गीत एवं गज़लें पेश की और इस मुशायरे को कामयाब बनाया।
पापुलर मेरठी साहब ने “टिकट मुझे भी दिला दो एसेम्बली का” गीत पढ़कर फर्रूखाबाद के लोगों का दिल जीत लिया। और वसीम बरेलवी ने का गीत “जिस घर मे एक कमाने वाला हो मर जाए तो घर का घर मर जाता है” यहाँ के लोगों के दिल में घर कर गया। माजिद देवबन्दी ने अपने चाहने वालों की फरमाइश पूरी करते हुए एक नज़्म पढ़ी “अल्लाह मेरे रिज्क़ की बरकत न चली जाए, दो रोज़ से मेरे घर मेहमान नहीं है। इस मुशायरे में शुरू से आखिर तक लोगों मौजूदगी इस बात का गवाह थी कि आज भी लोगों अपनी तहजीब से उतना ही गहरा लगाव है।