गांव का रहने वाला एक बच्चा जब तमाम तनाव, परिवार की महत्वाकांक्षा, अकेलेपन आदि का बोझ झेल रहा हो तब यूनिवर्सिटी और टीचर उसके सामाजिक बहिष्कार का आदेश जारी दें, ये कैसी इंसानियत है? अपनी बात मज़बूती से रखने वालों को आत्म हत्या करने पर मजबूर कर दिया जाता है, ये कहाँ का न्याय है ? आज मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी के दफ्तर समेत दिल्ली के शास्त्री भवन, केंद्रीय सचिवालय मेट्रो स्टेशन के पास शोक ग्रस्त छात्रों का विरोध प्रदर्शन था।
और आज फिर से प्रदर्शन करने वाले छात्रों को हिरासत में ले लिया गया उन पर पानी की बौछारों के साथ साथ लाठियों व् लात घूसों की बौछार भी हुई। प्रदर्शन कर रहे छात्र मात्र HCU VC और Union Minister Dattatreya (जिन्होंने दलित छात्रों के ऊपर जूठे आरोप लगा कर MHRD को एक पत्र में उन्हें निकालने की मांग की थी, इन्होंने मानसिक कष्ट देने का हर संभव प्रयास किया।)क्या अपने देश के छात्रों की बात सुन ना सरकार का कर्त्वय नहीं है ? बहार आकर छात्रों को सांत्वना देने की बजाये, पुलिस की मदद से लाठियां सरकार नहीं तो और कौन बरसा रही है? हैदराबाद युनिवर्सिटी के शोध छात्र रोहित वेमुला की दुखद मृत्यु से सारे देश के छात्र व्यथित है।
दलितों के सामाजिक वहिष्करण की प्रक्रिया समाज में केवल गाँवों तक ही सीमित नहीं है बल्कि सभ्यता और शिक्षा के बड़े-बडे़ केन्द्र कहे जाने वाले विख्यात विश्वविद्यालयों में भी चल रही है। विश्वविद्यालयों में यह हमला सूक्ष्म स्तर पर मानसिक प्रताड़ना की शक्ल में हो रहा है।