जब चाय बेच कर बना टॉपर

बिहार का सीवान ज़िला ज़िसे कौन नही जानता! भारत के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर  राजेंद्र प्रसाद इसी ज़िले मे पैदा हुये। आज फिर उस धरती को एक लाल ने गौरान्वित  किया है।  हम बात कर रहे है सीवान जिले के  बड़हरिया निवासी शंकर यादव के पुत्र धर्मेन्द्र की। बड़हरिया टैक्सी स्टैंड के पास  के चाय कि दुकान मे अक्सर एक नाम सुनने को मिलता  है  “धर्मेन्द्र दो कप चाय ले आओ” ,”धर्मेन्द्र ज़रा चाय पिलाना” दिनभर ऐसी ही आवाज़ो के बीच रहने वाला चाय कि दुकान पर काम करने वाले इस लडके धर्मेन्द्र ने गांधी  मेमोरियल हाई स्कुल बड़हरिया से दशवीं की बोर्ड परीक्षा मे स्कूल का दूसरा टॉपर बन कर सब को चौंका दिया।

धर्मेन्द्र भाइयों  में सबसे बड़ा है और  धर्मेन्द्र बचपन से ही अपने पिता के कामों में उनकी मदद करता आ रहा है।  उसके पिता शादियों  और पार्टियों  में मिठाई और खाना बनाते है, और धर्मेन्द्र चाय कि दुकान चलाता है!  इस बाबत  आपका टाइम्स  ने बात कि, धर्मेन्द्र ने बताया मै पढ़ना  चाहता हूँ  और बडा हो कर इंजिनियर बनना चाहता हूँ.

धर्मेन्द्र की मार्कशीट
धर्मेन्द्र की मार्कशीट

आसपास लोग कहते हैं की चाय की दूकान चलने वाला क्या पढाई करेगा लेकिन धर्मेन्द्र की सोच कुछ अलग ही कहती है, धर्मेन्द्र कहता है की जब चाय बेचने वाला देश का प्रधनमंत्री बन सकता है तो मैं एक इंजीनियर क्यों नहीं बन सकता।
धर्मेन्द्र के पिता शंकर यादव बताते हैं कि धर्मेन्द्र बचपन से ही मेहनत करते आया है और उन्होंने ये भी बताया की धर्मेन्द्र स्कुल से आकर चाय कि दुकान चलाता था,ओर जब समय मिले दुकान मे ही पढाई  करता था।  धर्मेन्द्र के पिता ने कहा घर कि आर्थिक हालत ठीक  नही है! जिससे हम  बाप बेटा को मिल कर काम करना पड्ता है, लेकिन मै अपने बेटा को पढ़ाऊंगा , उसे  इंजिनियर बनाउंगा चाहे मुझे कितना भी मज़दुरी करनी पडे।
पंजाब से छुट्टी में अपने घर आये इंजीनियरिंग के छात्र विवेक कुमार  ने बताया की मेरा घर धर्मेन्द्र  कि चाय कि दुकान पास मे ही है मै धर्मेन्द्र को बचपन से जानता हूँ जहाँ  इस उम्र मे बच्चे पढाई  ओर खेल का शौक रखते है,लेकिन इस लडके को मैने आज तक अच्छे से खेलते हुये नही देखा है  स्कुल से दुकान ओर खाली  समय मे पढाई  करता था.
बड़हरिया के पेंटर गणेश श्री   ने बताया जो लोग अपने बच्चो को पढ़ाने में सक्षम है और अपने बच्चों को पढ़ाना चाहता है उनके बच्चे पढाई में पीछे रह जा रहे हैं और जिसे पढ़ने  का शौक है गरीबी कि हालत मे वह नही पढ़  पाता है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *