भाई दूज, भाई- बहन के अटूट प्रेम और स्नेह का प्रतीक माना जाता है यह पर्व दीवाली के दो दिन बाद खूब हर्ष उल्लास से मनाया जाता है.
- कथा
यमुना अपने भाई यमराज से बार बार उसके घर आकर भोजन करने का निवेदन करती थी. यमराज बहन की सद्भावना देख कर आज के दिन उसके घर गया. और उसके द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया। - मान्यता
विश्वास है की आज के दिन जो भाई–बहन यमुना में स्नान करते हैं, यमराज उनका कुछ नहीं बिगड़ सकता. यमुना स्नान के लिए लाखों श्रृद्धालु दूर दूर से आते हैं और विश्राम घाट पर स्नान कर पूजा अर्चना करते हैं. जो भाई इस दिन अपनी बहन के हाथ का खाना खाता है और जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करे, उन्हें यमराज का भय नहीं रहता.
- मानने की विधि
भाई के हाथो मैं सिंदूर और चावल का लेप लगाने के बाद उसपर पान के पाँच पत्ते, सुपारी और चाँदी का सिक्का रखा जाता है, उसपर जल डालते हुए भाई की दीर्घायु के लिए मंत्र बोला जाता है. बहनें अपने भाइयों के लिए व्रत भी रखती हैं मान्यता के अनुसार यमुना ने इसी दिन अपने भाई यमराज की लंबी आयु के लिए व्रत किया था, और उन्हे अननकूट का भोजन खिलाया था. बदले में भाई बहनों को उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं और भेंट दे कर उनका सम्मान करते हैं. - आज कल का दृश्य
आज भी लोग इस पर्व को खूब धूम धाम से मनाते हैं. छोटे बच्चों से लेकर बूज़र्गों तक सब में खूब उत्साह रहता है . भाई दूज की खरीदारी दीवाली की खरीदारी के साथ साथ ही चलती है और प्रसन्नता पूर्वक्र इससे मनाया जाता है.