दिवाली के शुभ अवसर पर हर साल की तरह देश के एकमात्र अल्पसंख्यक केंद्रीय विश्वविद्यालय को हर साल की तरह इस बार भी दिवाली पर दुल्हन की तरह सजाया गया है और साथ ही कुछ विभागों में तो रंगोली प्रतियोगिता आयोजन कराने की भी प्रथा है। दक्षिणी दिल्ली के में स्थापित जामिया को मुस्लिम विश्वविद्यालय के रूप में देखा जाता है और कई बार लोग संदेह की नज़र से देखते हैं कि जामिया में सिर्फ मुसलमान पढ़ते हैं और अटकलें लगाई जाती हैं के हिंदु छात्रों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है लेकिन वास्तविकता में ये बातें धारणा मात्र है।
जामिया मिल्लिया इस्लामिया एक ऐसा विश्वविद्यालय है जहाँ उसके स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर लगने वाली पारम्परिक “तालीमी मेला” में एक ही समय पर होने वाले दो अलग अलग कार्यक्रम में एक जगह “या अली” गाना बज रहा होता है वही दूसरी जगह “हरे राम हरे कृष्णा” गाना सुनाई देता है। जब भी कभी गंगा-जमुनी तहज़ीब की बात आती है तो शायद ही कोई 2013 में आयोजित आल इंडिया युनिवार्सिटी क्रिकेट चैम्पियन्शिप भुल पाए जिसमे जामिया के 15 सदस्यी टीम में सिर्फ 3 ही मुस्लमान थे जो कि इस बात को दर्शाता है कि जामिया में भेदभाव जैसी बीमारी नहीं है और जामिया ने आज भी अपना तहज़ीब बरक़रार रखा है।
चाहे वो खेलकूद हो या कोई टेक्नीकल या सांस्कृतिक कार्यक्रम हमेशा ही सारे जगह सारे धर्म के छात्र एकजुट हो के सक्रिय रूप से हिस्सा लेते हैं या कुछ यूँ कहें की जामिया में सियासती दांव पेंच से दूर छात्र ही एक धर्म है। जामिया एक ऐसा कैम्पस है जहाँ रक्षाबंधन के दिन हिंदु बहनें मुस्लिम भाईयों को राखी बांधते दिख जाती है और वहीँ मुस्लिम बहनें हिंदू भाइयों को राखी बांधते दिख जायेंगी। देश की राजधानी में स्थापित जामिया मिल्लिया इस्लामिया में जो गंगा-जमुनी तहज़ीब दिखाई देती है वो शायद ही दुनिया के किसी और विश्वविद्यालय में दिखे।