नेहा परवीन.
नई दिल्ली:आप पार्टी के सुप्रीमो केजरीवाल और लोकपाल को मांगने व देश मे भ्रस्टाचार के खिलाफ अवाज उठाने वाले अन्ना के बीच मे खटाश पैदा होगई है. जिस तरह आज् अन्ना और केजरीवाल की राहें भटकने लगी है. इन की खबरों ने आज कल मीडिया में काफी तहलका मचा रखा हैं वैसे जब से अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के चुनावों में अपने नाम का पर चम लहराया है तब से मीडिया का कैमरा उनके पीछे-पीछे मंडरा रहा हैअब तो जहां केजरीवाल वहां मीडिया का कैमरा है।केजरीवाल इस समय मीडिया की सबसे बड़ी खबर बने हुए है एक तो दिल्ली में सरकार बनाने के समर्थन के चक्कर में दुसरा अन्ना के साथ उनके बिगड़ते रिशतें। ऐसे में केजरीवाल से सम्बधित अन्ना के साथ रहे उनके सम्बंधो को लेकर खबरो ने ज़ोर पकड़ रखा है।अन्ना और केजरीवाल के आपसी गठबधन में कुछ दुरिया आगई केजरीवाल ने अपना सफर अन्ना के पीछे रह कर ही शुरू किया था अब अन्ना तो वहीं रह गये और केजरीवाल आगे निकल गये जिस दिन दिल्ली के विधानसभा चुनाव का फैसला आया था उस दिन अन्ना ने मीडिया के सामने आकर केजरीवाल के लिए अपनी खुशी व्यक्त की थी लेकिन उस के दो चार रोज़ बाद ही अन्ना ने केजरीवाल के सह योगी को अपनी सभा में उस पर अपना गुस्सा व्यक्त किया जिससे यह ज़ाहिर हो गया की अन्ना और केजरीवाल के सम्बंधो में खटास आ गई।कुछ समय पहलेअन्ना और केजरी वाल ने जिस मुहीम को चलाने के लिए एक दुसरे का साथ दिया, खड़े एक साथ हुए लड़े एक साथ, और आज उस मुहीम को चलाने के लिए दोनो की राहें भटक रही है जब कि दोनो का लक्ष्य एक ही है दोनो को ही उसी मंजि़ल पर जाना हैं तो आज इनके रास्तेक्यों अलग हो गये है यहां कुछ सवाल उठ तें है अन्ना आखिर केजरीवाल से नराज़ क्यों है क्या वाकई केजरीवाल ने सत्ता में आने के लिए अन्ना को मोहरा बनाया था जिसे अन्ना अब भली भाति समझ गये है जिसके कारण अन्ना ने अब अपनी राहं उन से अलग कर ली है।अन्दर का सच क्या है ये कोई नहीं जानता।अन्ना हमेंशा से केजरीवाल के राजनीति पार्टी बनाने के खिलाफ थे अन्ना अपनी जंग सियासी मैदान से बहार रह कर लड़ना चाहतें थे पर केजरीवाल ने उनके इस फैसले के खिलाफ जाकर सत्ता में आए, हो सकता है अन्ना का उन की तरफ से मुंह मोड़ने का एक बड़ा कारण यह हो।जब कि केजरीवाल का यह कहना है कि अन्ना को कोई भड़का रहा है जब कि सबका यह मानना है कि केजरीवाल के लिए अन्ना का साथ ही उनके लिए सत्ता में महत्व पूर्ण है और उस महत्वपूर्णता के कारण ही वह अन्ना के साथ अपने सम्बंधों को हमेशा बनाने की कोसिश करते हैं लेकिन केजरीवाल के सदस्य के प्रति अन्ना की नराज़गी ने यह साफ तौर पर ज़ाहिर कर दिया कि इन दोनो की राहें अब अलग हो रही है अब चाहें केजरीवाल अन्ना के साथ रहें अपने सम्बंधों को कितना भी ठीक करे रिश्तो मे दरारे तो आई है और दरारे बहुत गहरी है अब देखना यह होगा कि यह दरारे भरेगी कब ?