छात्रों का एक पत्र, कन्हैया के नाम …

हमारे विश्वद्यालय के अध्यक्ष कन्हैया, तुम सच में किसी कृष्णा से काम नहीं हो. जिस प्रकार कृष्णा ने भारी वर्षा से गाँव वालों को बचाने के लिए गोवर्धन पहाड़ी को अपनी ऊँगली पर उठा लिया था, उसी प्रकार तुमने भी JNU की रक्षा करने का जिम्मा अपने ऊपर लिया हुआ है. आज बस्सी जी ने तुम्हारा एक लिखित बयान ट्वीट किया जिसमें तुमने बताया था की तुम्हें इस देश की न्याय प्रणाली पर पूरा भरोसा है साथ ही तुमने देशवासियों से शान्ति बनाने की अपील भी की. गर्व तो मुझे इस बात पर है की तुमने आज पटियाला हाउस कोर्ट में न जाने कैसे कैसे दानवों का सामना करना पड़ा जो देशभक्त होने की आड़ में तुमपर हमला करते रहे, तुम पर हुआ शारीरिक हमला तो हम सबने देखा पर जिस मानसिक पशोपेश से तुम गुज़र रहे होगे उससे सिर्फ तुम ही समझ सकते हो! तुम पर तो हमला हुआ और हमला भी उन्होंने किया जो काला चोगा पहन कर न्याय दिलाने की बात करते हैं, पर पलट कर तुमने वार नहीं किया न ही अपना संतोष जाने दिया. इस से यह मालूम पड़ता है की तुम गांधी जी की उस बात को मानते हो जो कहती है की कोई एक गाल पर मारे तो हस्ते हस्ते दूसरा गाल आगे कर दो.

हमारे बड़े भाई कन्हैया, तुम पर देशद्रोह का जो कीचड उच्छाला गया वोह बेहद निंदनीय है. कुछ लोगों की किये की सजा तुम्हें मिल रही है और तुम पूरे विश्वादियालय का प्रतिनिधित्व करते हुए सारी सजा भुगत रहे हो जिस से यह पता चलता है की सबसे बड़े देश भक्त तो तुम ही हो. मैंने आपके साथ कुछ समय बिताया है, आप लोगों को साथ लेकर चलने वाले बेहद संवेदनशील इंसान हो, JNU का अध्यक्ष हो कर भी आप चाय और पकोड़ों का जैसा मज़ा लेते हो वैसा तो सिर्फ बिहार का आम आदमी ही ले सकता है . भैया आपके इस संघर्ष से ये तो साफ़ होगया की कल अगर कोई बाहरी ताकत हिन्दुस्तान पर आँख उठा कर देखेगी तो सबसे पहले उसको आँख दिखाने वाले आप ही होगे हमारी सरकार हो या न हो.

आप अपना मनोबल टूटने मत देना, हम सब इस उदास मौसम के खिलाफ मिल कर लड़ेंगे. आशा है जल्द ही आपसे मुलाकात दुबारा होगी और उसी ढाबे पर बैठ कर चाय पर पकोड़ों के साथ चर्चा होगी. जय हिन्द

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *