आपका टाईम्स चीफ ऐडीटर.
नई दिल्ली : इतिहास गवाह है के जब जब भारत पर कोई जुल्म हुआ है चाहे वो जुल्म करने वाला घर का हो या बाहर का हो उसके खिलाफ अवाज पूरा देश एक साथ उठाता रहा है.भारत वासियो के लिये भारत देश ही नही है सिर्फ,बल्की भारत वासियो के लिये भारत माता है,वह माता जो हर घर मे माँ का रूप लेकर रहती है.भारत का हर नागरिक भारत को अपने दिल मे बसा कर रखता है.लेकिन इस देश मे कुछ ऐसे भी नागरिक है भेडीये है जो देश के होते हुये भी इसे नुकसान पहुचाते है.भारत माता यानी के अपनी माता को विसैली आंखो से देखते है.अपनी बहनो का शिकार करते है.
16 दिसम्बर का वह दिन कभी नही भुलाया जा सकता जिस दिन निर्भया के साथ सामुहिक दुष्कर्म की घटना हुई थी.उस दिन देश के साथ साथ पूरी दुनिया झकझोर गई थी.वह घटना जब भी याद आती है रुंगटे खडे होजाते है.कि किस तरह 16 दिसम्बर की रात चलती बस मे फिजियोथेरिपिस्ट यूवती के साथ गैंग रेप हुआ.और फिर उस घटना के बाद् उसके इंशाफ के लिये दिल्ली राजधानी मे प्रदर्शन होने सुरु होगये थे.वह वकत लोगो को इंशाफ मांगने का था.दिल्ली की गली गली से,हर घर से एक ही अवाज आरही थी हमे इंशाफ दो,निर्भया को इंशाफ दो.और निशाने मे दिल्ली पुलिस व सरकार थी.
हर साल इलेकश्न के वक्त दिल्ली पुलिस मे बडे फेर बदल के दावे किये जाते है मगर हकीकत यही रहती है के महिलाओ की सुरक्षा को लेकर पुलिस के प्रयास नाकाफी ही रहते है.न तो पुलिस इस बात पर गौर करती है न राजनेता लोग,वकत आने पर बडी से बडी बात बोल जाते है लेकिन घटना होजाने पर अपने घरो मे दुबक कर बैठ जाते है.
16 दिसम्बर की घटना को बीते आज 365 दिन होगये है पर दिल्ली क्या पूरा देश सेफ नही है.देश की महिलाये घर से डर डर के बाहर निकल रही है,उनके अन्दर डर भर गया है 16 दिसम्बर का.वो दिन याद करके कपकपा जाती है.इसके बाबत भी महिलाओ की सुरक्षा को लेकर पुलिस के प्रयास असफल है.महिला अपराधो की जांच के लिये दिल्ली राज्य के थानो मे महिला पुलिस कर्मीओ की संख्या कम है.तो वही देश के वी.आई.पी.सुरक्षा मे लगे पुलिस कर्मीओ की संख्या ज्यादा है.! इस तरह अभी भी भारत माता की कोई रखवाली करने वाला नही है.अभी भी भारत मे महिलाये असुरक्षित है.और शिकार मे बैटे भेडिये उन्हे ताक रहे है.क्या होगा इस देश का यहा के वैग्यानिक भी नही बता पा रहे है,तो राजनेता क्या बता पायेंगे,लेकिन वो देश का भविश्य सुधारेंगे ये कसमे प्रतिदिन खाते है.