आज की राजनीतिक राहुल बनाम मोदी

rahul_modiआज की राजनीतिक का माहौल बिलकुल बदला हुआ है। कोई भी पार्टी विकास और तरक्की की बात नही करती है। देश के विकास से महत्वपूर्ण पार्टी नेताओं का विकास है। अगर हम सबसे पहले भाजपा की बात करे तो केंद्र में उसकी सरकार 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृतव में बनी थी। उस समय भाजपा का चुनावी मुद्दा था राम मंदिर। इसे ही फोकस कर के भाजपा केंद्र में आयी थी और दूसरी पार्टियों के पास कोई खास मुद्दा नही था। भाजपा पाँच साल सत्ता पे काबिज रही और राम मंदिर को तो भूल ही गयी साथ ही देश में महंगाई और अर्थवव्यस्था चरमरा गयी और खाद्य पदार्थों के दाम में आग लग गयी। 2005 में लोक सभा चुनाव हुए और भाजपा ने नारा दिया साईंनिग इंडिया और कांग्रेस का मुद्दा था महंगाइ से छुटकारा,जनता जागी और इंडिया साईंनिग को नकार दिया और सत्ता की चाभी कांग्रेस को सौप दि और कांग्रेस अभी तक सत्ता में है.अगर हम देश के विकास की बात करे तो,बेईमानी होगी क्योंकी महंगाई पुरे चरम सीमा पे हैं  2014 में फिर लोक सभा का चुनाव होने वाला है। इस बार कांग्रेस जहाँ राहुल गाँधी को पीएम उम्मीदवार बता रही है,वहीँ भाजपा से नरेन्द्र मोदी उम्मीदवार हैं। आज राजनीतिक भी विकास की जगह राहुल और मोदी के बीच ही अटकी है। कोई भी पार्टी  देश की तरक्की की बात नही करती है। कांग्रेस कहती है,अगर वो सत्ता में आयेगी तो राहुल पीएम बनेगें, उधर भाजपा कहती है वो सत्ता में आयेगी तो मोदी पीएम बनेगे। अगर मोदी भाषण देते हैं राहुल को बुरा बोलते हैं तो राहुल अपने भाषण में मोदी को जवाब देते हैं। देश में खाद्य पदार्थ से लेकर सारी चीजों के दाम बढे है। आम पब्लिक और गरीब महगाई से परेशान हैं,लेकिन इन नेताओं को इससे कुछ लेना देना नही है.ये कहना गलत नही होगा की  2014 के चुनाव का  मुख्य मुद्दा राहुल बनाम मोदी है.

 

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