रिपोर्टर,विनय:
नई दिल्ली:आध्यातिमक और सांस्कृतिक देश भारत के तीर्थस्थलो के कण-कण में देवी-देवता निवास करते हैं। भारत तीर्थों का देश है। भारत की आत्मा तीर्थो में निवास करती है। तीर्थयात्रा महासंघ के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनीषी कुमार सिन्हा एवं प्रवक्ता सह महासचिव देवेन एस. खत्री ने कहा कि प्राचीन काल से ही भारत के आसितक जन श्रद्धा-आस्था-विश्वास के साथ देश के एक भाग से दूसरे भाग में तीर्थयात्रा के लिए जाते हैं। पूरे वर्ष देशभर में पर्व, उत्सव, मेले, समारोह तीर्थस्थलों पर आयोजित होते रहते हैं, जिसमें देश के एक भाग से दूसरे भाग में लोग शामिल होते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि तीर्थों के देश भारत में इन करोड़ो तीर्थयात्रियों की सुरक्षा-व्यवस्था के लिए एक स्वतंत्र मंत्रालय भी नहीं है। आए दिन देशभर में भगदड़, आगजनी, अफवाह और प्रशासनिक लापरवाही के कारण हादसे होते रहे हैं। लेकिन कोर्इ इसकी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता। सत्ता पक्ष-विपक्ष एक दूसरे पर आरोप लगाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री मान लेते हैं। तीर्थयात्रियों की संरक्षा-सुरक्षा व्यवस्था के लिए तीर्थयात्रा महासंघ भारत सरकार से मांग करती है कि- केन्द्र और राज्य सरकार के अधीन स्वतंत्र तीर्थयात्रा मंत्रालय का गठन किया जाए, तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए तीर्थस्थलों पर आवास, परिवहन, चिकित्सा, सुरक्षा का समुचित प्रबंध तीर्थयात्रा मंत्रालय द्वारा किया जाए तथा स्थानीय निकाय तीर्थयात्रा मंत्रालय के अधीन कार्य करे, तीर्थयात्रियों के लिए एकीकृत पंजीकरण व्यवस्था को अनिवार्य किया जाए तथा तीर्थयात्रियों के लिए दुर्घटना बीमा की व्यवस्था की जाए, तीर्थ-पुरोहितों को प्रशिक्षित किया जाए, सभी मंदिरों के पुजारियों को वेतन, चिकित्सा, पेंशन, बीमा की सुविधा दी जाए, तीर्थयात्रियों को रेल और एयर किराए में विशेष रियायत देने की व्यवस्था की जाए, तीर्थस्थलों को पर्यटकस्थल के रूप में सौन्दर्यीकृत एवं विकसित किया जाए। इन्हें सात सूत्री मांगों के समर्थन में तीर्थयात्रा महासंघ 15 दिसंबर को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करेगी।
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